भारत में डेटा सुरक्षा कानून लागू – सोशल मीडिया कंपनियों पर लगेगी ₹500 करोड़ तक की पेनल्टी



मुख्य बिंदु (Highlights)

  • भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) कानून प्रभाव में आया

  • कंपनियों पर ₹500 करोड़ तक का जुर्माना संभव

  • उपयोगकर्ताओं के डेटा पर बढ़ेगा कंट्रोल और पारदर्शिता

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ऐप डेवलपर्स और क्लाउड सर्विसेज भी दायरे में

  • डेटा ब्रीच, अनधिकृत प्रोसेसिंग और गलत डेटा संग्रहण पर होगी कार्रवाई

भारत सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून (DPDP Act, 2023) को 1 अगस्त 2025 से देशभर में लागू कर दिया है। यह कानून भारत में डेटा गोपनीयता और यूज़र्स की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

क्या है DPDP कानून?

DPDP कानून का उद्देश्य है कि कोई भी सरकारी या निजी संस्था, ऐप या सोशल मीडिया कंपनी किसी भी यूज़र का डेटा बिना सहमति के एकत्र, प्रोसेस या स्टोर नहीं कर सकती। साथ ही, यूज़र्स को अपने डेटा को हटवाने या सुधार करवाने का भी अधिकार मिलेगा।

कानून के अहम प्रावधान:

  • डेटा ब्रीच या सुरक्षा चूक पर ₹250 करोड़ से लेकर ₹500 करोड़ तक की पेनल्टी

  • हर संस्था को डेटा प्रोटेक्शन ऑफिसर (DPO) की नियुक्ति अनिवार्य

  • 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के डेटा की प्रोसेसिंग पर सख्त पाबंदी

  • यूज़र की स्पष्ट सहमति के बिना कोई भी व्यक्तिगत जानकारी नहीं ली जा सकेगी

  • डेटा के प्रयोग की “Notice of Purpose” देना अनिवार्य

सोशल मीडिया कंपनियां होंगी सीधे प्रभावित

इस कानून से विशेष रूप से WhatsApp, Facebook, Instagram, X (Twitter), Google, Amazon, Flipkart जैसी कंपनियों को अपने डेटा स्टोरेज और उपयोग की नीतियों में भारी बदलाव करने होंगे।

यदि कोई प्लेटफ़ॉर्म यूज़र की सहमति के बिना डेटा प्रोसेस या शेयर करता है, तो उस पर ₹500 करोड़ तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

यूज़र्स को क्या अधिकार मिलेंगे?

  • डेटा एक्सेस राइट – कोई भी व्यक्ति जान सकेगा कि उसका कौन-सा डेटा संग्रहित है

  • डेटा डिलीशन राइट – यूज़र अपने डेटा को हटवाने का अनुरोध कर सकेगा

  • डाटा करेक्शन – गलत जानकारी को ठीक करवाने का हक

  • डाटा प्रोसेसिंग पर आपत्ति जताने का अधिकार

सरकार की मंशा: पारदर्शिता और आत्मनिर्भरता

भारत सरकार का कहना है कि यह कानून देश में डिजिटल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और नागरिकों को उनके डेटा पर पूर्ण अधिकार देगा। इससे डेटा लीक और साइबर अपराधों पर भी प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।

विशेषज्ञों की राय:

साइबर लॉ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून डिजिटल इंडिया के युग में बहुत ही आवश्यक और देर से आया हुआ कदम है। इससे जहां कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी, वहीं नागरिकों को अपनी जानकारी पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।

क्या बोले आईटी मंत्री?

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा –
"DPDP कानून नागरिकों की निजता की रक्षा करने और तकनीकी प्रगति में संतुलन बनाए रखने का काम करेगा। आने वाले समय में इससे भारत वैश्विक स्तर पर डेटा संरक्षण के मामले में अग्रणी बन सकेगा।"

भारत में डेटा सुरक्षा कानून का लागू होना डिजिटल युग में एक बड़ा क्रांतिकारी कदम है। इससे कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी, नागरिकों को अधिक अधिकार मिलेंगे, और डिजिटल वातावरण अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनेगा।

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